Successful motivational story in Hindi

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1. अब तो भला ही होगा

अगर आपको लगता है कि आपके जीवन में सब कुछ गलत हो रहा है तो इस कहानी को पढ़ने से ही फायदा होगा।

एक छोटी सी कहानी है, एक राजा ने अपनी प्रजा की परीक्षा लेने के लिए रास्ते के बीच में एक बड़ा सा पत्थर रख दिया और राजा किनारे जाकर खड़ा हो गया कि इस पत्थर को कौन उठाता है। देखा और किनारे से चला गया। कुछ लोग आए और राजा को गालियाँ देने लगे। कहने लगे कि हमारा राजा क्या है, सड़कों पर बड़े-बड़े पत्थर रखे रहते हैं। बनी सड़कों की क्या स्थिति है।

एक किसान उधर से निकल रहा था, उसके सिर पर टोकरी थी, टोकरी नीचे रख दी और उस पत्थर के पास आ गया, उसने पत्थर को हटाना चाहा, पत्थर भारी था, इसलिए निकल नहीं पा रहा था। फिर कोशिश की, धीरे-धीरे पत्थर थोड़ा सरक गया और उस किसान ने उस पत्थर को सड़क के किनारे रख दिया। जब किसान वापस आया और टोकरी को सिर पर उठाने की कोशिश की तो उसने देखा कि जिस जगह पर पत्थर था, वहां एक थैला रखा हुआ था। मैं तुम्हारी परीक्षा लेना चाहता था और देखना चाहता था कि कौन इस बाधा को पार करके सफलता तक पहुँच सकता है। आपके जीवन में भी एक पत्थर रखा हुआ है। अगर आप भी उस पत्थर को निकालने की कोशिश कर रहे हैं तो बहुत अच्छी बात है और अगर आप कोशिश नहीं कर रहे हैं तो कोशिश करना शुरू कर दें, आज नहीं तो कल नहीं तो परसों पत्थर जरूर हटेगा और आपको क्या मिलेगा तुम्हें चाहिए। |

किसी ने बड़े कमाल की बात कही है, “एक ही गलती हम सारी उम्र करते रहे; धूल चेहरे पर थी, और हम आइना साफ करते रहे।”

2. जब तक उम्मीद है जीत मुमकिन है|

एक बार रेसिंग प्रतियोगिता हो रही थी और रेस का आखिरी राउंड था। जो रेसर सबसे तेज और सबसे आगे दौड़ रहा था वो अचानक गिर गया और बांकी रेसर्स से पीछे हो गया। उस रेसर को गिरते हुवा देख कमेंटेटर बोला, “अब ये रेस नहीं जीतेंगे और न ही पहले आएंगे”।

उस रेसर ने ये बात सुनी और मन ही मन खुद से बोला, “रेस खत्म अभी नहीं हुई और मैं अभी हार नहीं”। वो उठा और उसने अपनी पूरी ताकत के साथ दौड़ना शुरू किया, और आंख में वो 3rd आया और रेस जीत गया।

ये छोटी सी प्रेरक कहानी ये बात सिखाती है की जब तक उम्मीद है तब तक जीत मुमकिन है। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप पहले आए हैं या आखिरी। जरूरी है वो उम्मीद है जो आपको जिंदगी की रेस में हर जरूरतमंद पर मजबूर करे। हम जो भी काम करते हैं, उसमें सफलता प्राप्त करना ही हमारी जीत है।

जीवन में बहुत से लोग हमसे आगे रहेंगे और बहुत से लोग हमसे पीछे भी रहेंगे। लेकिन हमारा मुकाबला उन लोगों से नहीं बल्कि खुद से है। हम अपनी लाइफ की रेस में गिरना भी है और फिर सम्भलना भी है और अपनी जीत की उम्मीद को हेमसा बनायें रखें।

डूब कर मेहनत करो अपने आज में, ताकि कल जब उभरो सबसे अलग निखरो ।

3. ख़ुद में हिम्मत और ऊपर वाले में भरोसा रखें!

औरो को जो भी मिला है मुक्कदर से मिला है, पर मुझे तो मुक्कदर ही तेरे दर से मिला है|

एक आदमी रेगिस्तान में कही भटक गया| उसके पास जो भीं खाने पिने की चीजे थीं वो भी ख़तम हो गयी| प्यासा यह इंसान वह भटक रहा था| समाज नहीं आ रहा था क्या करे रास्ता मिल नहीं रहा था| थोड़ा आगे बढ़ा तो उसे एक ज़िपडी दिखाई पड़ी| वो खुश हो गया उसे लगा जरूर यहाँ पर कोई न कोई तो होगा| उसे पहलेसेही उपरवाले पर भरोसा था| तो उसे लगा जरूर कोई न कोई चमत्कार होगा | यहाँ मोई न कोई मेरी मदत करेगा मुझे रास्ता दिखायेगा|

लेकिन झोपड़ी मे कोई नहीं था| वीरान सुनसान झोपड़ी पड़ी हुई थी जैसे बरसो से वह कोई न गया हो| अंदर गया तो उसने देखा की हैडपम्प लगा हुआ था| अब वो खुश हो गया उसे लगा अब यहाँ मुझे पानी मिलेगा| ऊपर वाले का धन्यवाद किया और हैंडपम्प चलेन लगा| लेकिन पानी नहीं आया हताश होकर जमीं पर बैठ गया और ऊपर देखने लगा तभी उसकी नजर एक बॉटल पर पड़ी तुरंत उठ गया और देखने लगा तो उसमे पानी था| पर उसपे एक चिट्ठी थी उसमे लिखा हुआ था की यह पानी हैंडपम्प में डालो तो हैंडपम्प चल जायेगा और यह बॉटल भर के फिर से रख दो| अब वो सोचने लगा की पानी पिऊ या हैंडपम्प में डालकर पानी निकालू? फिर उसने काँपते हुए हाथ से पानी हैंडपम्प में दाल दिया और हैंडपम्प चलाने लगा| इसबार हैंडपम्प चल गया| उसने ठंडा ठंडा पानी पिया और बॉटल भर के वह रख दी और आगे बढ़ने के लिए निकला तभी उसे एक नक्शा दिखा तो उसमे रेगिस्तान से बाहर निकलने का रास्ता था| वो थोड़ा आगे बढ़ा और फिर वापस आकर उसने लिखा की ये सच में काम करता है|

ये छोटी सी कहानी हमें बताती है की आपके लाइफ में बुरी से बुरी स्तिथि आएगी पर आप ऊपर वाले पर और खुद पर भरोसा रखे विश्वास रखे ताकि ये विश्वास होता है ये सबसे बड़ी चीज होती है विश्वास और दूसरी बड़ी चीज ये बताती है की अगर आप जिंदगी मे कुछ अच्छा चाहते है तो आपको अपनी तरफ से कुछ प्रयास डालने पड़ेगे| जब तक आप प्रयास नहीं करेंगे तब तक आपकी लाइफ के जो गोल्स है वो हासिल नहीं होंगे|

अगर जिंदगी में कुछ अलग करना चाहते हो तो भीड़ का हिस्सा कभी मत बनो क्योंकि भीड़ साहस तो देता है मगर पहचान छिन लेता है ।

4. एक किसान की निराश होकर ईश्वर से शिकायत!

एक बार एक किसान हर बार आने वाले तूफान-फातून, ओलावृष्टि, तेज धूप आदि से परेशान हो गया। क्योंकि कभी-कभी गिरावट ज्यादा खराब हो गई थी।

इसलिए वह निराश होकर ईश्वर से शिकायत करता है।

किसान बोला, “आप ईश्वर तो है लेकिन सफलता को कब क्या चाहिए, इसकी जानकारी नहीं है। जिसकी कोई जरूरत नहीं होती, वह भी देते रहते हैं। इसलिए मैं विनती करता हूं कि आप मुझे एक मौका दें। मेरे अनुसार सीजन देखें। फिर हम सब किसान अन्न के शेयर भर देंगे।”

ईश्वर मुस्कुराए और बोले, “ठीक है आज से आपके हिसाब से मौसम रहेगा।”

किसान खुश हो गए। किसानों ने अगली फसल में गेहूं की बुवाई की। उसने जब चाहा तब धूप मिली, उसने जब चाहा पानी मिला, पानी की तो उसने बिल्कुल कम नहीं आने दी। तूफान, बाढ़ और तेज धूप तो उन्होंने ही नहीं दी।

समय के हिसाब से नतीजा हुआ। किसान भी बहुत खुश हुए कि इस बार शानदार सफलता दिख रही है।

किसानों ने मन ही मन सोचा कि ईश्वर को अब पता चलेगा कि अच्छी सफलता के लिए क्या-क्या जरूरी है। फालतू में ही किसान परेशान रहते हैं।”

किसान कटौती के लिए खेत में। व्होइटर के सैन्य बलों के हाथ लगाए गए तो उसके पैर जमीन पर लग गए। उसने देखा कि किसी भी संयंत्र के बालियों में एक भी दाना नहीं था।

किसान दुखी हो गए और बोले, “हे ईश्वर! ऐसा हुआ क्यों? क्योंकि मैंने तो सब कुछ सही किया और सही समय पर किया।”

इस पर ईश्वर बोले, “हे प्रिय किसान! ऐसा होना ही था। क्योंकि इनसे बिल्कुल ठीक नहीं होने दिया। इन्हें ना तो धूप में तपने दिया, ना ही तूफान का सामना किया। इन्हें किसी भी प्रकार की हैशटैग का सामना नहीं करने दिया। इसलिए बाहर से भले ही अच्छे दिख रहे हों लेकिन ये अंदर से ठीक नुकसान हैं, इनमें से कुछ भी दाने नहीं हैं।

जब विभिन्न खंड का सामना करते हैं तो उनमें ऊर्जा उत्पन्न होती है। यह ऊर्जा उनके अंदर सही सामर्थ्य पैदा करती है, जिसके लिए वह बनी है।

दोस्तों ठीक इसी प्रकार जब तक मनुष्य से संघर्ष नहीं होता, वह आदमी खोखला रह जाता है। जीवन की सोच उसके विकास के नए रास्ते खोलती है और मनुष्य को मजबूत और सृजनात्मक बनाती है। इसलिए आपके जीवन में भी परेशानी या दुर्घटना आती है तो घबराहट नहीं होती। यह आपको बिखेरने के लिए नहीं, निखारने के लिए आया है।

जहां कोशिशों का कद बड़ा होता है वहां नसीबों को

भी झुकना पड़ता है ।
5. परेशानियों का डट कर मुक़ाबला करो

सीढिया वो चढ़ाते है जिन्हे छत पर जाना होता है, वो तो उड़ान भरते है जिन्हे आसमान छूना है|

एक इंसान बड़ी परेशानी में था| उसकी लव लाइफ ख़राब हो चुकी थी| फॅमिली वाले साथ नहीं दे रहे थे| वो जो बिज़नेस कर रहा था वो डूब चूका था| कुल मिला कर उसकी जिंदगी में एक परेशानी ख़त्म नहीं होती दूसरी खड़ी हो जाती| वो अपनी जिंदगी से इतना परेशान हो गया था की अपनी जिंदगी ख़त्म करने चला था| वो एक पहाड़ पर चढ़ गया| जब वो पहाड़ पर पंहुचा तो वह एक बाबाजी पहले से तपस्या कर रहे थे| बाबाजी ने सुनसान पहाड़ पर इंसान देखा तो उससे पूछा यहाँ तक कैसे पोहोचे? तो उस इंसान ने अपनी सारी कहानी बाबाजीको सुनाई की मे बहुत परेशान हु मेरी एक परेशानी ख़त्म होती नहीं की दूसरी आ जाती है|

बाबाजी ने कहा की इस सारी परेशानी का एक सलूशन है| वो मे तुम्हे बताता हु पर तुम्हे मेरे साथ चलना पड़ेगा| तो दोनों चलाने लगे चलते चलते रेगिस्तान आ गया| रेगिस्तान में एक ऊँटो का व्यापारी था जो ऊँटो के साथ रुका हुआ था| बाबाजी ने कहा की आज शाम हम यही रुकेंगे यही विश्राम करेंगे और कल सुबह यहाँ से चलेंगे|

जैसे ही रात हुई तो बाबाजी ने उस इंसान को अपने पास बुलाया और कहा की देखो ऐसी बात है की देखो ये व्यापारी बीमार है, मे नहीं चाहता की इसकी नींद ख़राब हो तुम आज रात में जब तक सारे उठ नहीं सो जाते तब तक जगे रहना और जैसे ही उठ सो जाते है तुम भी सो जाना| इतनासा काम तुम्हे आज रात करना होगा| इंसान ने कहा चलो बाबाजी कह रहे है इसमें कुछ बात छुपी हुई हो| रात बिट गई अगली सुबह जब बाबाजी उस इंसान के पास पहोचे और पूछा नींद सही से हुई की नहीं? इंसान बोला कहा नींद आयी यहाँ एक उठ सोता तो दूसरा उठ जाता| रात भर ऐसा ही चलता रहा| पूरी रात मुझे नींद नहीं आयी| बाबाजीने कहा यही तो बात में तुम्हे समझाना चाहता था| जिंदगी में एक परेशानी ख़त्म होती है की दूसरी आ जाती है| दूसरी ख़त्म होती है तीसरी आजाती है| एक के बाद एक आती रहती है| परेशानियों का डट कर मुकाबला करना होगा| अगर वो तुम नहीं कर पाए तो जिंदगी में हमेशा हर पल हर लम्हा परेशान रहोगे|

हम सब एक परेशानी से निकलते है की दूसरी परेशानी आ जाती है| जो की होती नहीं है पर हम उसे परेशानी मान लेते है और दिन भर परेशान रहते है उदास रहते है| अब ये आपपर निर्भर करेगा की आप परेशानी का मुकाबला करेंगे या परेशानी से घबराते रहेंगे| डट कर मुकाबला करो सफलता जरूर मिलेगी|

हिम्मत मत खोना मेरे दोस्त क्योंकि अभी बहुत दूर जाना है,

जिसने कहा था तेरे बस का नहीं उन्हें भी कुछ करके दिखाना है ।
6. कर भला, हो भला

किसी गाँव में एक मंदिर था। मंदिर के पुजारी और उनकी पत्नी, भगवान के भक्त थे। प्रतिदिन पति-पत्नी मंदिर की सफाई करते, पूजा-अर्चना की सामग्री जुटाते और मंदिर में आने वालों को भोजन कराते। वे दोनों निःसंतान थे। जब भी ओणम का त्यौहार आता, वे उदास हो जाते। पुजारी की पत्नी तरह-तरह के स्वादिष्ट पकवान बनाती। उसके हाथ की बनी सांबर, रसम, ओलन व अवियल बहुत मजेदार होती थी। गाँव-भर के बच्चे उसके घर जा पहुँचते और भरपेट भोजन पाते। जाते समय वह सभी को मुट्ठी भरकर शर्करपुराट्ट (यह व्यंजन केले के चिप्स में गुड़ लगाकर बनता है।) देती।

इसी तरह दिन बीत रहे थे। एक बार एक नंबूदिरी ब्राह्मण उस मंदिर में आया। वह गरीब अपनी बेटी की शादी के लिए धन एकत्र कर रहा था। मंदिर में भोजन मुफ्त मिलता था। उसने खाने से पूर्व नहाना उचित समझा। अपने धन की थैली को स्नान कुंड के किनारे रखकर वह स्नान करने लगा। स्नान करके लौटा तो थैली वहाँ नहीं थी। उसने सभी से पूछा परंतु कोई भी थैली का पता न बता सका। भगवान जाने थैली को जमीन निगल गई या आसमान खा गया था? बेचारा रोता-कलपता अपने गाँव लौट गया।

कुछ समय बाद पुजारी की पत्नी झाड़ू लेकर सफाई करने आई। ज्यों ही उसने गाय का गोबर उठाया तो थैली मिल गई। हुआ यूँ कि जब ब्राह्मण स्नान करने गया तो एक गाय ने थैली पर ही गोबर कर दिया। गोबर से ढकने के कारण उसे थैली दिखाई नहीं दी। पुजारी की पत्नी ने बड़े यत्न से ब्राह्मण की अमानत को सँभाल लिया। उसने एक बार भी थैली का मुँह तक नहीं खोला।

संयोग से कुछ माह पश्चात्‌ वह ब्राह्मण पुन: वहाँ आया। धन की थैली खोने के बाद, उसकी परेशानी और बढ़ गई थी। पुजारी ने ब्राह्मण को भोजन करवाया। फिर उसके धन की थैली सामने ला रखी। ब्राह्मण मारे खुशी के रो पड़ा। उसने सारी कहानी सुनी और पुजारी की पत्नी से बोला-“इस धन पर आपका भी अधिकार है। आप इसमें से आधा ले लें।’ पुजारी की पत्नी एक धार्मिक महिला थी। उसने पराए धन का एक पैसा लेने से भी इंकार कर दिया। ब्राह्मण ने प्रसन्‍न होकर उसे वरदान दिया, ‘अगले ही वर्ष तुम एक प्रतिभाशाली, यशस्वी पुत्र की माता बनोगी।

ऐसा कहकर ब्राह्मण लौट गया। अगले वर्ष पुजारी की पत्नी ने अपने मन की मुराद पाई। जानते हो क्यों, उसका पुत्र कौन था? उसके यहाँ मलयालम के प्रसिद्ध कवि कुंजन नंबियार ने जन्म लिया। कहते हैं कि इस कवि की तुलना किसी से नहीं की जा सकती। मलयालम भाषा के जानकार इनकी कविताएँ अवश्य पढ़ते हैं।

यह कहानी हमें शिक्षा देती है कि संसार में लोभ नहीं करना चाहिए। जो दूसरों का भला करता है, उसका स्वयं ही भला होता है।

जिंदगी में कुछ बनना ही है तो दीपक जैसा बनिए ताकि

खुद जलकर भी दूसरों के घर में उजाला कर सको ।

7. राजा साहब चिंता ना करें। जो होता है अच्छे के लिए होता है।

एक बार की बात है, एक राजा तलवारबाजी कर रहा था तो अचानक से उसके अंगुली में कट लग गया। तो पास खड़े मंत्री अचानक बोल उठे, “राजा साहब चिंता ना करें। जो होता है अच्छे के लिए होता है।”

यह सुनते ही राजा को गुस्सा आ जाता हैं। राजा उस मंत्री को कारागृह में बंद करने का आदेश दे देता है और बोलता है इसको फांसी पर चढ़ा दिया जाए।

यह सुनकर मंत्री घबरा गया, उसने राजा से निवेदन किया, ” महाराज! मैंने आपके यहां इतने वर्षों तक काम किया है। क्या आप मेरी अंतिम इच्छा पूरी नहीं करेंगे?”

राजा बोला,” ठीक है बताओ क्या है तुम्हारी अंतिम इच्छा?”

मंत्र बोला, “कृपया मुझे 10 दिन का समय दीजिए। उसके उसके बाद आप मुझे जो चाहे वो सजा दे दीजिए।”

राजा ने उसकी अंतिम इच्छा मान ली।

राजा दूसरे दिन अपने सैनिकों के साथ जंगल में शिकार पर निकला। जंगल के बीच में राजा अपने सैनिकों से बिछड़ गए और रास्ता भटक गए। रास्ता ढूंढते हुए राजा वनवासियों के बीच पहुंच गए, जो बली देने के लिए किसी को ढूंढ रहे थे। वनवासियों ने राजा को पकड़ लिया और वन की देवी को बली देने के लिए ले गए।

बली देने की सारी तैयारियां पूरी हो गई। जैसे ही राजा को बली देने के स्थान पर ले जाया गया, वहा खड़े बुजुर्ग की नजर राजा की खंडित अंगुली पर पड़ी। उसने आवाज लगाई कि ये तो खंडित हैं, इसकी बली नही दी जा सकती। तो वनवासियों ने राजा को छोड़ दिया।

राजा जैसे तैसे वहा से निकला और अपने राज्य पहुंचा। सबसे पहले कारागृह में अपने मंत्री से मिलने पहुंचा।

राजा ने मंत्री से कहा,”आपने सही कहा था अगर मेरी अंगुली नही कटी होती तो मैं जिंदा नही होता, यानी जो होता है वो अच्छे के लिए होता हैं।”

राजा ने फिर पूछा,”मेरा तो फायदा हुआ लेकिन आपका कैसे फायदा हुआ। मैंने तो आपको सजा दी।”

मंत्री बोला, “मैं आपके साथ शिकार पर हमेशा रहता हूं, उस दिन भी रहता, लेकिन मेरे खंडित नहीं होने के कारण मेरी बली चढ़ जाती। इसलिए मेरे साथ भी जो हुआ अच्छा हुआ।”

राजा प्रसन्न हुआ लेकिन छोटी सी बात पर मंत्री को सजा देने का दुख भी हुआ। इसलिए राजा ने मंत्री को कारागृह से निकल कर फिर से अपने साथ रख लिया।

शिक्षा: दोस्तो अपने जीवन में भी बहुत से उतार चढ़ाव आते रहते हैं। कभी कभी कुछ चीज़ें मन मुताबिक नहीं होती हैं। इस कारण से कभी निराश नहीं होना चाहिए।

हमेशा याद रखे जो होता हैं-अच्छे के लिए होता हैं। भले ही कुछ अच्छा हो या न हो, लेकिन उस परिस्थिति के प्रति सकारात्मक नजरिया रखने से उसका प्रभाव बहुत कम हो जाता हैं।

जीवन मिलना भाग्य की बात है, मृत्यु होना समय की बात है,

लेकिन मृत्यु के बाद भी लोगों के दिलों में जीवित रहना ये कर्मों की बात है ।

8. ख़ुद की ख़ूबी पर भरोसा करना सीखें।

एक बादशाह सर्दियों की शाम जब अपने महल में दाखिल हो रहा था तो एक बूढ़े दरबान को देखा जो महल के सदर दरवाज़े पर पुरानी और बारीक वर्दी में पहरा दे रहा था।

बादशाह ने उसके करीब अपनी सवारी को रुकवाया और उस बूढ़े दरबान से पूछने लगा ; “सर्दी नही लग रही ?”

दरबान ने जवाब दिया “बोहत लग रही है हुज़ूर ! मगर क्या करूँ, गर्म वर्दी है नही मेरे पास, इसलिए बर्दाश्त करना पड़ता है।” “मैं अभी महल के अंदर जाकर अपना ही कोई गर्म जोड़ा भेजता हूँ तुम्हे।”

दरबान ने खुश होकर बादशाह को फर्शी सलाम किया और आजिज़ी का इज़हार किया। लेकिन बादशाह जैसे ही महल में दाखिल हुआ, दरबान के साथ किया हुआ वादा भूल गया। सुबह दरवाज़े पर उस बूढ़े दरबान की अकड़ी हुई लाश मिली और करीब ही मिट्टी पर उसकी उंगलियों से लिखी गई ये तहरीर भी ; “बादशाह सलामत ! मैं कई सालों से सर्दियों में इसी नाज़ुक वर्दी में दरबानी कर रहा था, मगर कल रात आप के गर्म लिबास के वादे ने मेरी जान निकाल दी।”सहारे इंसान को खोखला कर देते है और उम्मीदें कमज़ोर कर देती है।

अपनी ताकत के बल पर जीना शुरू कीजिए, खुद की सहन शक्ति, ख़ुद की ख़ूबी पर भरोसा करना सीखें।आपका आपसे अच्छा साथी,

दोस्त, गुरु, और हमदर्द कोई नही हो सकता।..

जिंदगी में अगर कुछ बड़ा मिल जाए तो कभी छोटे को मत भूल जाना,

क्योंकि जहॉं सु‌ई का काम हो वहां तलवार काम नहीं आती ।

9. मैंने बहुत ढूंढा लेकिन मुझे नगर में एक भी अच्छा इंसान नहीं दिखाई दिया।

महाभारत में गुरु द्रोणाचार्य ने एक दिन कौरव और पांडव राजकुमारो की परीक्षा लेने की सोची।

द्रोणाचार्य ने दुर्योधन को बुलाया और उससे कहा, “दुर्योधन! तुम इस नगर में जाओ और पूरे नगर में से किसी एक अच्छे इंसान को खोज कर मेरे पास ले आओ।

दुर्योधन नगर में पहुंच गया। पूरे नगर मैं घूमने के बाद वह द्रोणाचार्य के पास खाली हाथ लौट आया और उसने गुरु द्रोणाचार्य से कहा, “गुरुवर! मैंने बहुत ढूंढा लेकिन मुझे नगर में एक भी अच्छा इंसान नहीं दिखाई दिया।”

अब गुरु द्रोणाचार्य ने युधिष्ठिर को बुलाया और कहा, “युधिष्ठिर! अब तुम जाओ और पूरे नगर में कोई एक बुरा इंसान खोज कर उसे यहां ले आओ।”

युधिष्ठिर नगर में गए और काफी खोजने के बाद खाली हाथ लौट आए और गुरु द्रोणाचार्य से बोले, “गुरुदेव मैंने पूरे नगर में बहुत ढूंढा। लेकिन मुझे एक भी बुरा इंसान नहीं दिखाई दिया।”

सभी शिष्य उत्सुकता पूर्ण सब देख रहे थे। लेकिन उन्हें समझ में कुछ नहीं आया।

तो राजकुमारों ने गुरु द्रोणाचार्य से पूछा, “गुरुदेव कृपया हमें बताइए कि आपने यह प्रयोग क्यों किया? क्यों दोनों राजकुमार बताए अनुसार अच्छे बुरे इंसान को ढूंढ लाने में असफल रहे है?”

गुरु द्रोणाचार्य बोले, “मैं तुम सबको यही बताना चाहता हूं कि जैसा हमारा मन होता है। वैसा ही हमें चारों तरफ दिखाई देता है। दुर्योधन के अंदर बुराई छुपी हुई है। इसलिए उसे सभी इंसान बुरे ही दिखे। कोई अच्छा इंसान नहीं मिला।”

“जबकि युधिष्ठिर के अंदर अच्छाई छुपी हुई है। इसलिए उसे सभी इंसान अच्छे दिखे। इसलिए वह बुरा इंसान खोज पाने में असमर्थ रहा।”

इसी प्रकार हमारे भीतर भी अच्छाई और बुराई दोनों मौजूद हैं। लेकिन हम अपने ऊपर किसको हावी होने देते हैं।

आप खुद ही आकलन कर सकते हो कि आप कैसे इंसान हो- आप अपने चारों तरफ देखें। आपको किस तरह के इंसान ज्यादा दिखते हैं? क्या आपको भी हर चीज में शिकायत रहती हैं? क्या आपको हर तरफ बुराई ही दिखते रहती हैं? अगर ऐसा है तो आपको अपना नजरिया तुरंत बदलने की जरूरत है।

क्योंकि यह दुनिया अपने स्वयं का प्रतिबिंब है। इसलिए अपने अंदर सकारात्मकता बनाए रखें। अच्छा महसूस करें। एहसानमंद रहे। दुनिया की खूबसूरती में विश्वास रखें। यकीन मानिए यह दुनिया ऐसी ही बन जाएगी।

अगर कोई इंसान खामोश है तो इसका अर्थ यह नहीं है कि वह कमजोर है यह उसका बड़प्पन है,

क्योंकि जिसको सहना आता है उसको कहना भी आता है |

10. लालच बुरी बला है।

एक बार की बात है, एक कुत्ता मुंह में रोटी का टुकड़ा लिए कहीं जा रहा था। बीच में एक नाला पड़ता था। इसकी गहराई बहुत ज्यादा नहीं थी और पानी भी कम ही था।

कुत्ता जब पानी में से होकर निकलने लगा तो उसे पानी में अपनी परछाई दिखाई पड़ी।

कुत्ते ने सोचा, “पानी में कोई दूसरा कुत्ता रोटी लेकर जा रहा है। अगर मैं इसकी रोटी भी छीन लूं, तो मेरे पास ज्यादा रोटियां हो जाएगी। और मेरा दिन आराम से निकल जाएगा।

कुत्ते ने जैसे ही परछाई वाले कुत्ते को डरा कर उसकी रोटी छीनने के लिए मुंह खोला, तो उसके मुंह की रोटी भी पानी में गिर गई। कुत्ते को लालच के कारण अपनी खुद की रोटी से भी हाथ धोना पड़ा। और कुत्ते को वापस अब खाली हाथ लौटना पड़ा।

शिक्षा
दोस्तों हम बचपन से सुनते आ रहे हैं कि लालच बुरी बला है। अपने पास जितना है, उसमें संतुष्ट रहना चाहिए। इसका मतलब यह नहीं कि हमे ज्यादा कमाने के लिए मेहनत नहीं करनी चाहिए।

खूब कमाई करो लेकिन जितना भी कमाओ। उसमें संतुष्ट रहो। ऐसा नहीं कि कमा तो लिया है लेकिन इस बात से दुखी है कि ओर ज्यादा भी कमा सकते थे। ऐसा लालच करने से जो है उसका सुख भी पूरा नहीं मिलेगा।

जिंदगी में किस्मत के भरोसे कभी मत बैठों, क्योंकि क्या पता

कि किस्मत आपके भरोसे बैठा है ।

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